शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

एकांकी नाटक


चौदह अगस्त की शाम से पंद्रह अगस्त की सुबह तक
          दूसरी किस्त ..........

नेता(1)-क्या हो सिपाही जी क्या हाल है।
सिपाही -बस उपर वाले का दुआ है। तैयारी हो गई क्या
नेता(2) -हाँ थोड़ा सा बाकी है। मुख्यमंत्री आ रहे हैं। तैयारी तो होना चाहिए।
सिपाही -हाँ कोई दिक्कत हो तो कहिएगा। ( होटलवाला से ) सुन रे ! साहब को कोई चीज का  जरूरत हो तो दे देना। और सुन कल दुकान यहां नहीं लगना चाहिए। मुख्यमंत्री आ रहे  है। देख लेंगे तो गड़बड़ हो जाएगा।
बचराः-नेतानुमा(2) से साब दो दिन से भुख हूँ। कुछ मेहरबानी करे साब।
सिपाही -क्या है बे । कुछ साला तुमलोग नहीं सुधरेगा । भाग यहां से ........भाग साला  भिखमंगा का औलाद......
नेता(3) -अरे छोडि़ए सिपाही जी । कल पंद्रह अगस्त है। बेचारा भूखा है (होटलवाला से) सुनों इसको एक समोसा दो.... जा जाकर ले ले।
   (होटलवाला बचरा को सिंघाड़ा देते हुए बुदबुददाता है।)
होटलवालाः- भिखमंगा जात ........... साला... देश को डुबा दिया । हर जगह साला पहले से ही पहुंच जाता है।
नेताः- सिपाही जी अभी थाना प्रभारी कौन है?
सिपाही -सिंह जी है।
नेता(3) -अच्छा उनको बोल देना ।कल मुख्यमंत्री जी यहां झण्डा फहरा रहें है । कोई  गड़बड़ नहीं होना चाहिए। एकदम साफ सुथरा रहना चाहिये।
सिपाही -ठीक है, साब चला जाता है।
  (बचरा समोसा लेकर बचरी के तरफ जाता है।)
नेता(1) -साला। यह जगह इन भिखमंगो ने बरबाद कर रखा है।
नेता(2) -मास्टर प्लान के बाद यह जगह सोना हो जाएगा।
नेता(1) -सोना क्या रहेगा। मिट्टी का टुकड़ा ही रहेगा। देखते नही हो भिखमंगो कि बस्ती...... भिखमंगा यहाँ झोपड़ी बनाकर रहते है।
नेता(3) -तो क्या हुआ। मास्टर प्लान चालू होगा, तो इसको हटा दिया जाएगा। साला क्रेन लाकर चढ़ा दिय जाएगा।
नेता(2) -नही यार। आजकल इनलोगो का भी यूनियन बन गया है, जहाँ साला अतिक्रमण   हटाओ अभियान शुरू हुआ, साला उठ खड़े होते है। और फिर विरोधी पार्टी   वाला सब साला मौका खोजते रहते है।
नेता(1) -अबे! इसमे इतना परेशान होने कि क्या बात है। इसके यूनियन लीडर को अपने   दल का मेम्बर बना दो। बस सब ठीक हो जाएगा।
नेता(3) -धत! साला भिखमंगा .....कोढया भिखमंगा को अपने पार्टी मे डालेगा। सरकार इनसे चलता  है, क्या। अबे अपनी सरकार फैक्ट्री - इण्डस्ट्रीज और पैसेवालो के बल पर चलती है। भिखमंगो को साथ रख भिखमंगा होना है क्या ?
नेता(2) -साला! मै मास्टर प्लान में यहाँ पर मार्केट काम्पलेक्स बनाने के लिए सोच रहा   था। आजकल मार्केट काम्पलेक्स में खूब पैसा है।
नेता(1) -अबे पैसा बोला तो याद आया शाम का जुगाड़ है, ना। जाकर ले आ..... नही तो   कल स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष पर दुकान बंद रहेगी।
नेता(3) -हाँ यार! ले आ नही तो सारा दिन चैपट हो जाएगा।
नेता(2) -अरे यार! इंतजाम है। और फिर दुकान बंद रहेगा तो क्या नीचे से दुकान वाला  नही देगा। साले का तुमलोग लाइसेंस कैसिंल नही करवा देगा क्या......
   (तीनो हँसने लगते है। बचरा बचरी के पास)
बचराः-देख! ऐसे माँगा जाता है। मै माँग लाया ना, ले सिंघाड़ा खा।(बचरी खाती है।)    देख ये सब भीख माँगने का टेक्टीस है। एक बार मांगो, भगा देगा। फिर मांगो,  जब तक बाबु लोग ना दे तब तक हटो ही नही...... देगा जरूर।
बचरीः- मै जानती हूँ।
बचराः- जानती है तो यहाँ भूखी बैठी क्यों थी, माँगी क्यों नही।
बचरी -गई थी, माँगने.......
बचराः- तो क्या नही दिये ...................!
बचरीः- नही....... उनकी नजरें बहुत खराब है। गन्दी -गन्दी बाते करते है............ कैसे गंदी नजरो से देखते है। जैसे मुझे खा जाएगें..............कुŸो साले बदमाश लोग है।
बचराः-तुम  ठीक कहती है। ये लोग अच्छे आदमी नही लगते है। साले मुझे भी खूब तंग किया।  कहते है, पढाई लिखाई करो। काम करो। क्या करूँ सूनना पड़ा, मैने भी गरदन हिला दी। भाषण दे रहे थे। जैसे कल 26 जनवरी हो। अरे हाँ, कह रहे थे कल झंडा फहरेगा। मुख्यमंत्री आयेंगे।
बचरी -तब तो कल मिठाई बंटेगा। खूब मजा आयेगा।
बचरा -हाँ चल चलते है। बाबा इंतजार करते होंगे।
            (प्रस्थान)

                                                                                                                     ज़ारी........ कल पढ़े

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