चौदह अगस्त की शाम से पंद्रह अगस्त की सुबह तक
तीसरी किस्त ..........(प्रकाशवृत होटल वाले हिस्से में )
नेता(1)- अबे! वो फिल्म तूने देखी साली हिरोइन ने इतना मस्त डांस किया.. क्या बोले साला इमान डोल गया।
नेता(2) - अरे आजकल की हिरोइन क्या कपड़ा पहनती है। एक बार सामने आ जाये ना तो मजा आ जाएगा।
(पगली का प्रवेश, वह झूमती अपने आप में खोये मंच पर )
नेता(3) - ये लो तुमने हिरोइन का नाम लिया और तुम्हारी हिरोइन आ गई।
नेता(2) - धत साला ये हिरोइन है, अबे में आर्ट फिल्म की हिरोइन नही आज के मार्डन हिरोइन की बात कर
रहा है। यार ! क्या चलती है। क्या कमर मटकाती है, हाय.....हाय...............
नेता(3) - (पगली को) ये ऽ ऽ ऽ ऽ श्री देवी ऽ ऽ ऽ ऽ देखो तुम्हारा दिवाना इधर है। (पगली उनको घूरकर देखती है।)
नेता(2) - अबे देख तुम्हारी हिरोइन तुम्हे देख रही है। देख बे, देख जा अजय देवगन के तरह नाच । (पगली गुस्सा से बड़बड़ाती है।)
नेता(3) - ऐ ऽ ऽ ऽ ऽ जा - जा यहाँ से । भाग ऽ ऽ ऽ ऽ ।
नेता(2) - अरे ! क्यों भगा रहा है। अपनी हिरोइन को। ऐ श्री देवी आ - आ सिंघाड़ा- खायेगी - ले । पगली गुस्सा होती है।
नेत(1) - अरे गुस्साती क्यों हो । लो खा लो, तुम्हारा हीरो तुम्हें कितना प्यार से खिला रहा है, लो खा लो.......
(पगली गुस्सा से पास पत्थर उठा लेती है।)
नेता(2) - अरे !अरे ! नहीं रे भाई ! पत्थर मत फेकना ।
(होटलवाला दौड़कर पगली को पकड़ लेता है।)
होटलवाला - ना बहन ! इनको माफ कर दे। गुस्सा मत कर । ये नहीं जानते क्या कह रहें है। जा बहन- जा
(पगली गुस्सा में राने लगती है तथा गांधी की मूर्ति के पास जाकर बैठ जाती है।)
नेता(1) - अच्छा किया यार उसको रोक लिया वरना साली माथा फोड़ देती।
नेता(2) - और बदमासी करो। बुलाओ हिरोइन को
होटलवाला - बाबूजी ऐसा नहीं करते। बेचारी दुखयारी है। पहले पगली नहीं थी, ऐसा झटका लगा कि पगली हो गई।
नेता(1) - तुम तो ऐसा कह रहे हो जैसे कोई महारानी थी... अब भिखमंगी हो गई।
होटलवाला - हाँ बाबूजी ये महारानी ही थी। अपने घर की........ पर इसका पति दूसरे औरत के चक्कर में इसे तलाक दे दिया और इसको घर सम्पति सब छिन कर इसको घर से भगा दिया तब से बेचारी पागल हो भटक रही है।
नेता(1) - बेचारी !
होटलवाला - अभी इसकी उम्र ही क्या है बाबूजी, बेचारी का दोष क्या था पति पर भरोसा किया और वही इसे दगा दे गया।
नेता(1) - क्या उम्र होगी इसकी
(होटलवाला चुप्प)
नेता(2) - क्या हुआ ! यार तु तो इतना हमदर्दी से इसका कहानी सुनाया,उम्र क्यों छोड़ यार। बोल ना कितने साल की होगी- 16 साल की है क्या।
होटलवाला - छोड़ो साब ! होटल बढ़ाने का समय हो गया है।
नेता(1) - क्या यार ! थोड़ा देरी साथ बैठो क्या होगा।
नेता(2) - क्यों भाई होटलवाले ! बुरा लग गया क्या................... जवान है पगली है तो क्या............ है तो औरत ही । तेरा कोई टाका वका तो नहीं चल रहा है ना
होटलवाला - साब ! छोटी मुँह बड़ी बात मैं उमर में आपसे बड़ा हूँ , कम से कम इसका तो लेहाज करो।
नेता(1) - हाँ भाई इसके उम्र का लेहाज करो। इसने बहन कहा है, बीबी नहीं (तीनो हंसते हैं।)
नेता(1) - सुनो ! तीन गिलास दो और दुकान बंद करके जाओ।
होटलवाला - साब! गिलास का क्या किजिएगा।
नेता(1) - तुमका मतलब । दुकान कल से यहां लगाना है कि। कल मुख्यमंत्री आ रहें है,रात भर यहां ड्यूटी देना है... समझे ....... चल गिलास दे......
होटलवाला - पर साहब यहां शराब पीना मना है।
नेता(2) - कहां पर लिखा है, शराब पीना मना है।
होटलवाला - साब ! पुलिस देख लेगी तो मेरी दुकान उजाड़ देगी। आपके हाथ जोड़ता हूँ,मेरे पेट पर लात मत मारिये।
नेता(1) - अबे! फिल्मी डायलाग मत मार ।पुलिस कुछ नहीं करेगी। तुने सुना नहीं। मामु .. क्या हिदायत देकर गये थे ।जो चीज की जरूरत हो दे देना............. तीन गिलास निकाल और फुट..... (होटलवाला गिलास निकालकर देता है।)
नेता(3) - सुन हमलोग का कितना बिल हुआ।
होटलवाला - जी 28 रूपया
नेता(3) - अठाइस रूपया कैसे रे। क्या क्या दिया।
होटलवाला - जी छः चाय, तीन आमलेट डबल और सात समोसा....
.
नेता(3) - सात समोसा, अबे हमलोग तीन आदमी है। छः समोसा हुआ, सात कैसे .. अबे कौन एक समोसा ज्यादा खाया ..बोलो
नेता(2) - क्या रे छः सिंघाड़ा हुआ था।
होटलवाला - साब! छः सिंघाड़ा आप लोग खाये और एक उस बच्चे को दिया...
नेता(1) - अबे बच्चे को दिया, किसके बच्चे को .... हमलोग अभी बैचलर है.... हमारा बच्चा कहां से आया।
होटलवाला - साब! उस भिखमंगे बच्चे को
नेता(1) - अबे! भिखमंगे को दिया था, साला उसका पैसा मांगकर पाप क्यों कर रहा है। जा................
होटलवाला - ठीक है साब! सताईस रूपये ही दे दिजीये।
नेता(2) - जा कल ले लेना।
होटलवाला - कल होटल बंद रहेगा साब।
नेता(1) - क्यों, क्यों बन्द रहेगा।
होटलवाला - साहब कल मुख्यमंत्री आ रहे है, ना। इसलीये आर्डर आया है, कि कल दुकान बंद रहेगा।
नेता(1) - अच्छा...........दुकान सरकारी जगह पर है, (अपने साथी से)सुनो......कल मुख्यमंत्री से कहकर इसको
ये जगह एलाटमेंट करवा देते है। साला गरीब का पेट भरेगा तो दुआ देगा ना....(होटलवाला सर हिलाता है)
जा....कल शाम को पार्टी के आफ़िस में आ जाना,दुकान का कागज - पतर वहां से ले जाना। कल से दुकान तुम
आराम से खोलो। किसी को कुछ भी लेना - देना नही पड़ेगा आओ।
होटलवाला - जी।
नेता(3) - अब जाओ यार! शाम हो गई मुड बन रहा है। अब मुड मत खराब करो जाओ. ....कल आ जाना।
(होटलवाला चला जाता है। तुम गिलास में शराब डाल पीते है।)
नेता(1) - साला! ये शराब भी शाली अजीब चीज है। समय काटने के लिये इससे अच्छी चीज बनी ही नही है।
नेता(2) - अबे साले! खाली शराब ही है या कुछ चना वगैरह भी है।
नेता(3) - है यार! लो, खाओ।
नेता(1) - साला होटलवाला, बेचारा कल आयेगा दुकान एलाटमेंट के कागज के लिये कल...साला......(हँसता है।)
नेता(2) - है साला, सीधा-साधा, बेचारा उसको क्या पता यहाँ पर काम्पलेक्स के चक्कर में हम खुद लगे है।
नेता(3) - कल मुख्यमंत्री के आगे - पीछे हो आर्डर करा लेना होगा....... नहीं तो राजधानी का चक्कर लगाने के लिये तैयार रहो।
नेता(1) - नहीं यार ! कल मुख्यमंत्री से एलाटमेंट आर्डर ले लेना है।
नेता(2) - देखो यहाँ पर से नीव दिलाना है। यहाँ पर 12 दुकान एक सीधा में 12 दुकान इधर।
नेता(3) - नीचे अण्डरग्राउण्ड में कार पार्कींग के लिये जगह रहेगा।
नेता(1) - तीसरे तल्ले में होटल रहेगा .............. नीचे रेस्टुरेंट
नेता(2) - अबे सिर्फ रेस्टुरेन्ट नहीं बार रेस्टुरेन्ट
नेता(3) - अबे बार रेस्टुरेन्ट से क्या होगा ।कहावत है शराब और शबाब साथ हो... सिर्फ बार से क्या होगा।
नेता(2) - अबे तो अपनी वाली के लेते आना नीचे बार में शराब उपर होटल में शबाब.
.
नेता(3) - अबे उसके बारे में कुछ नहीं बोलेगा । यार वो मेरी जान है... मेरी शादी उससे होने वाली है।
नेता(3) - पेशाब करने का इशारा करते हुये गांधीजी के मूर्ति के पास जाता है।
जारी.....कल पढ़े
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें