रांची शहर के नाट्य प्रेक्षागृह " कान्ति कृष्ण कला भवन "गोरखनाथ लेन में प्रत्येक रविवार नाटक कार्यक्रम के अंतर्गत शहर की प्रसिद्द नाट्य संस्था देशप्रिय क्लब के द्वारा प्रेमचंद की कहानी कफ़न का नाट्य रूपांतरण का मंचन किया गया।
कहानी का रूपांतरण भगवन चन्द्र घोष के द्वारा किया गया था एव नाटक के निर्देशक थे सुकुमार मुखर्जी।
नाटक की कहानी माधव एव घीसू के इर्द गिर्द घूमती है ये दोनों आलसी प्रबृति के है जो कामचोर है तथा भूख मिटने के लिए किसी के खेत से आलू उखाड़ लेट और खाते पर काम नहीं करते बुधिया जो माधव की विवाहिता है और पुरे गर्भ से है कभी भी बच्चे का जन्म हो सकता है जो रात में प्रसव वेदना से कराह रही है और दर्द से छटपटा रही है जिसकी मदद करने के जगह दोनों आराम करते है जिससे बुधिया प्राण त्याग देती है जिसके क्रिया कर्म के लिए जमींदार के पास जाकर दोनों रो धोकर पैसे मांगते है दया कर जमींदार उन्हें पैसा दे देता है जिससे कफ़न खरीदने दोनों बाजार जाते है परन्तु बाजार की चकाचौंध में वे कफ़न खरीदना भूल जाते है और दारू पी मस्ती करते है साथ ही घर लौटते वक़्त कफ़न नहीं ख़रीदने का बहाना सोच लेते है साथ ही उनका अनुभव की गांव वाले खुद बुधिया का क्रिया कर्म कर देंगे सटीक बैठता है ,
नाटक में अभिनय मीर युनुस उर्फ़ राजू बनवारी , अमित कुमार,फज़ल इमाम ,कैलाश मानव एव एस. मृदुला ने किया प्रस्तुति सहयोग युवा नाट्य संगीत अकादमी की थी
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