क्या आपने कभी किसी अभिनय कर रहे नाटक के पात्र के आंखों में उस वक्त झांक कर देखा है जब वह किसी पात्र को जीता है ,जब वह संवाद संप्रेसन करता है,संवादों को ,शब्दों को उसके अनुरूप उच्चारण करता है तब मानो शब्द जी उठते है उनके संवाद का एक-एक शब्द चित्र बन कर हमारे सामने उभर पड़ते है वह अभिनेता या अभिनेत्री उस वक्त अपनी वास्तविकता भूल जाता है नाटक के पात्र का आवरण उसके ऊपर हावी रहता है ....किसी अभिनेता या अभिनेत्री के द्वारा पात्रों को जीना कोई आसान काम नहीं परन्तु नाटक देखते वक्त ऐसा महसूस होता है की अभिनय बड़ी सरलता से किया जाने वाला काम है जो कोई भी कर सकता है पर वास्तविकता ये नही है अभिनय कड़ी मेहनत का नतीजा है जिस पर किसी प्रकार की लापरवाही उसकी मेहनत पर पानी फेर सकता है। रांची में रंगकर्मी एवं निर्देशक अजय मलकानी के निर्देशन में 'स्त्रीमन' एकल अभिनय का मंचन आज मेकन स्थित कला भवन में हुआ जिसमे एकल अभिनय मधु राय के द्वारा किया गया । मधु राय एक सधी हुई अभिनेत्री है जिसके कुशल अभिनय ने दर्शकों को बांधे रखा।स्त्रीमन में स्त्री के पात्र को जीते वक्त मधु राय के आँखों में , संवादों में ,संवाद के उच्चारण की गति उसकी भाव-भंगिमा देखने लायक थी। इस प्रस्तुति के लिए अजय मलकानी एवं मधु राय धन्यवाद् के पात्र है।
बुधवार, 20 मई 2009
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good
जवाब देंहटाएंहां सूरज भाई.........मधु जी को मैंने भी एक अन्य नाटक में देखा है.....वे गज़ब की अभिनेत्री हैं....उनमें कमाल हैं....उसके बावजूद भी बेशक मैंने उनसे मिलने की चेष्टा नहीं की....!!
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